प्रभु येशु के साथ पहला कदम का परिचय
– Translated by Joy and Amal Fraser
मेरे प्यारे दोस्त,
आपने जीवन और ह्रदय को प्रभु येशु को देने के लिए जो निर्णय ले लिया, इस से मैं बहुत प्रसन्न हूँ | आपकी जीवन यात्रा अब एक रोमांचकारी (उत्तेजक) यात्रा रहेगी | मैं अपने प्रभु और उद्धार कर्ता के साथ कई वर्षों से चल रहा हूँ और मैं विश्वास से कह सकता हूँ की वह एक वफादार , दयालु , और सुधि रखने वाला मित्र है | जब जब मैं उनके चरणों के पास बैठकर उनकी बातों को सुनता रहा, उन्हों ने मुझे बहुत सारी नैतिक शिक्षा सिखाई ,जिससे मैंने जीवन में बहुत अनुभव प्राप्त किया है |ये बातें जो मैं आप को बताने जारहा हूँ , वो परमेश्वर से मेरे निजी रिश्ते की वजह से मुझे मिली है
जैसा आप ये पहला कदम परमेश्वर के साथ लेते है मैं आप का हाथ थामना चाहता हूँ , ताकि आप उस ख़ुशी का अनुभव कर सकें जो प्रभु ने आप के लिए रखा है |
“सब जातियों में उसके बड़े कामों का प्रचार करो, और कहो कि उसका नाम महान है |” यशायाह 12: 4
कदम 1: प्रभु येशु मेरा उद्धारकर्ता
क्या होता है जब मैं येशु मसीह को अपना प्रभु और उद्धार करता स्वीकार करता हूँ ? एक दिन बिल्कुल मैं ने प्रभु येशु से कहा, “प्रभु येशु, मैं आप को मेरे प्रभु और उद्धार कर्ता के रूप में स्वीकार करता हूँ | मैं चाहता था कि आप मेरे जीवन के परमेश्वर बने |” मैं Read More …
कदम 2: माफ़ी और प्रभु येशु में एक नया जीवन
मैं कल्पना नहीं कर सकता कि परमेश्वर स्वयं धरती पर मेरे पापों का दाम चुकाने के लिए आए | मैं अपने पापी जीवन को याद करता हूँ । मैं अपने दिल में सभी गलत विचारों को याद करता हूँ और परमेश्वर के नियमों के खिलाफ जो गलत बातें मैंने कही है और किया है, मैं Read More …
कदम 3: प्रभु यीशु बिना – अँधेरे में
प्रभु यीशु के पास आने से और उन्हें अपने जीवन का प्रभु बनाने से पहले, मैं अपने बलबूते पर अपना जीवन जीने की कोशिश कर रहा था। मुझे नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है। मैं ने कई योजनाएं बनाई, लेकिन मुझे यकीन नहीं था कि वे सफल होंगीं। मुझे ऐसा लग रहा Read More …
कदम 4: अँधेरे से प्रकाश (ज्योति) में
मैं अपने जीवन की गफलत में खो गया था और अँधेरे में ठोकरें खाते हुए आशा के बिना चल रहा था |एक दिन मैं ने सुना कि प्यार से भरी एकआवाज मेरा नाम लेकर मुझे बुलारही है | यह प्रभु यीशु की आवाज थी | उन्हों ने कहा ” मैं दुनिया कि रोशनीं हूँ, मेरा Read More …
कदम 5: प्रार्थना — परमेश्वर से बातचीत
आपने प्रभु यीशु की आज्ञा पालन करने का फैसला किया है | आप सोच रहे होंगे मैं उनसे कैसे बात करूँ |परमेश्वर से बात करना “प्रार्थना” कही जाती है |हमारे हर दिन के अध्ययन के अंत में, प्रभु यीशु के लिए प्रार्थनाएं थी | यदि आप ने आवाज उठाकर या सच्चे विश्वास के साथ अपने Read More …
कदम 6: प्रार्थना – कैसी करना चाहिये
प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों को प्रार्थना करना सिखाया, यदि आप उनसे मांगोगे तो वोआपको भी सिखाने को तैयार है|मेरी प्रार्थना है, प्रभु यीशु मैं आप की आराधना करती हूँ, मैं आपके सामने अपना सिर झुकाती हूँ | आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर है | आप मेरे उद्धार कर्ता है | मैं आपकी स्तुति करती हूँ | Read More …
कदम 7 : पवित्र बाइबिल – परमेश्वर हमसे बातें करते हैं
क्या आपको प्रार्थना में ईश्वर से बात करने का और उसके द्वारा आपकी प्रार्थनाओं का सुना जाना – क्या आपको इसका अनुभव है ? आप परमेश्वर की प्रतीक्षा कर सकते है कि वह आप से बात करें और आपकी प्रार्थना का जवाब दे |परमेश्वर बाइबिल के माध्यम से हमसे बातें करते है| यही कारण है Read More …
कदम 8: परमेश्वर हमारे सृष्टिकर्ता
बाइबिल हमें बताती है “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परंतु अनन्तजीवन पाए |परमेश्वर खुद के प्यार के बारे में बाइबिल में क्या बताते है? उत्पत्ति 1:1 – यह बाइबिल में सबसे पहला वचन है, Read More …
कदम 9: आदम और हव्वा और उनके पाप
परमेश्वर ने जो पहला आदमी और औरत को रचा, उनका नाम आदम और हव्वा था| उनकी कहानी बाइबिल की पहली पुस्तक उत्पत्ति में है|परमेश्वर उनके साथ हर रोज चलते थे और बात चीत करते थे |क्या आप कल्पना कर सकते है की सर्वशक्तिमान परमेश्वर सारे आकाश और पृथ्वी के निर्माता उनके साथ समय बिताना चाहते Read More …
कदम 10: परमेश्वर का अद्भुत प्यार हमारे लिए
आदम और हव्वा पाप करके परमेश्वर से अलग हो गये |और उनका संबंध परमेश्वर से टूट गया |लेकिन परमेश्वर हमसे प्यार करते हैं |वो हमारे पापों से घृणा करते है परंतु उन्होंने हमसे प्रेम रखना बंद नहीं किया |वे जानते थे की हमारे पापों को दूर करने के लिए हम स्वयं कुछ नहीं कर सकते Read More …
कदम 11: क्रिसमस कि कहानी – परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा
हज़ारों साल पहले, प्रभु यीशु के जन्म होने से पहले परमेश्वर ने एक भविष्यवक्ता, यशायाह को यीशु के बारे में घोषणा करने के लिए कहा, “एक कुवांरी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखा जायेगा – जिसका अर्थ है परमेश्वर हमारे साथ” यशायाह 7:14, मत्ती 1:23 पूरे पुराने नियम के माद्य्यम से Read More …
कदम 12: क्रिसमस की कहानी — परमेश्वर हमारे साथ
जब बच्चे का जन्म होने का समय आ गया, मरियम और युसूफ घर से दूर बेतलेहेम में थे |सराय में उनके लिए कोई जगह नहीं थी| उनके बच्चे का जन्म एक पशुशाला की चरणी में हुआ और उसकी माता ने उसे चरणी में रख दिया | परमेश्वर का पुत्र इस पापी दुनिया में आप के Read More …
कदम 13: यीशु मसीह — आश्चर्य कर्म करने वाला प्रभु
प्रभु यीशु तीस साल के हैं, वे अपना काम पूरा करने के लिए अपना घर छोड़ रहे हैं, उनके शिष्य बनकर क्या हम उनका अनुसरण करेंगे । अब जहाँ वे जाते हैं उनके पीछे चलकर, उनकी वाणी को सुनेंगे और देखेंगे कि वे क्या करते हैं |मैं उत्साहित हूँ मुझे यकीन है कि आप भी Read More …
कदम 14: गुरु के चरणों में बैठना
क्या आप तैयार हैं इस सफर में आगे बढ़ने के लिए जो हम ने शुरू किया था अपने प्रभु के साथ | मैं तैयार हूँ, अगर आप भी तैयार हैं तो चलो चलते हैं |हमने उनके अद्भुत कार्यों को देख लिया, अब उनके चरणों के पास बैठ कर सुनेंगे वे हमसे क्या कहना चाहते हैं Read More …
कदम 15 : प्रभु यीशु — क्रूस पर हमारे पापों के लिए
प्रभु यीशु – दुनिया के उद्धार कर्ता | समय आ गया प्रभु यीशु को अपना काम करने के लिए : “वो पापियों को बचाने दुनिया में आए” – 1 तिमोथी 1:15. उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि वे मरने जा रहे हैं | इस बात को सुनकर उनके शिष्य दुखी हो गये | लेकिन उन्होंने Read More …
कदम 16: प्रभु यीशु – हमारा जीवित उद्धार कर्ता
शिष्यों ने प्रभु यीशु को पीड़ित हो कर क्रूस पर मरते हुए देखा |उनके बिना वे अपने आप को भयभीत, अकेला और डरा हुए महसूस कर रहे थे | तीसरे दिन जो रविवार था उनमे से कुछ कब्र के पास गए और वहां पर वे आश्चर्य चकित हो गए |खुली कब्र के पास एक स्वर्गदूत Read More …
कदम 17: परमेश्वर – पवित्र आत्मा
पवित्र आत्मा कौन है ? आप सोच सकते हैं | मरने से पहले प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि वे परमेश्वर के पास जा रहे हैं, जो उनके पिता हैं | इस बात को सुनकर शिष्य दुखी हो गये|उन्हों ने उनको सन्तावना देते हुए कहा – मेरा पिता तुम्हें एक सहायक देगा, वो Read More …
कदम 18: पवित्र आत्मा हमारा सहायक और मार्गदर्शक
प्रभु यीशु ने क्रूस पर अपनी जान देने से पहले अपने शिष्यों से कहा: जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा| यूहन्ना 16 :13 जब प्रभु यीशु स्वर्ग चले गए, पवित्र आत्मा सारे शिष्यों के ऊपर आ गया | वे ज्ञान और शौर्य और हिम्मत से भर गये Read More …
कदम 19: स्वर्ग हमारा अनंत वास
स्वर्ग का विचार आते ही मैं ख़ुशी से एक गीत गाता हूँ जो मुझे याद है | स्वर्ग एक सुन्दर जगह है महिमा और अनुग्रह से भरा हुआ वहाँ अपने उद्धारकर्ता को देखता हूँ स्वर्ग एक सुन्दर जगह है स्वर्ग एक ऐसी जगह है जहाँ परमेश्वर की महिमा भरी हुई है | वह एक अति Read More …
कदम 20: स्वर्ग – परमेश्वर के घर पहुंचना
हर व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म का क्यों न हो स्वर्ग जाना चाहता है | वे जानते हैं कि स्वर्ग एक अति सुन्दर जगह है| वे कई उपाय करते हैं वहाँ जाने के लिए जैसे भले काम करना, दान देना, परेशान लोगों की मदद करना | वे सोचते है कि अपने अच्छे कामों से स्वर्ग Read More …
कदम 21: शैतान – परमेश्वर का शत्रु – हमारा शत्रु
क्या आपने कभी इस दुनिया की बुराई के बारे में सोचा है वह कहां से आती है और उसके पीछे कौन है ? क्या आपने एक ऊंची आवाज़ अपने अंदर सुनी है जो कहती है कि दुनिया में ऐश करो और आपको ये गलत लगती है | बाइबिल के अनुसार हर बुराई के पीछे शैतान Read More …
कदम 22: प्रभु यीशु हमें शैतान से विजय दिलातें हैं
परमेश्वर की स्तुति हो | हमारा मुक्तिदाता हमें शैतान से छुड़ाने आया| हम लोग जिन्हें मुक्ति मिली है, शैतान के गुलाम नहीं है |अब हम प्रभु यीशु के हैं, और उसकी सुरक्षा में हैं | शैतान हारा हुआ दुश्मन है | बाइबिल शैतान को दुष्ट आत्मा कहती है और दुनिया का राजा भी कहती है Read More …
कदम 23: परमेश्वर से प्यार अपने पूरे व्यक्तित्व के साथ
एक दिन एक मनुष्य प्रभु यीशु के पास आया और उसने उनसे पूछा – परमेश्वर की सबसे महत्वपूर्ण आज्ञा कौन सी है ? प्रभु यीशु ने उत्तर दिया: तू अपने परमेश्वर को, अपने पूरे मन से, अपनी आत्मा से, और पूर्ण ताकत से प्यार कर | मैंने सोचा परमेश्वर को इस तरह कैसे प्यार करूं Read More …
कदम 24: परमेश्वर से प्यार, पाप से नफरत
प्रभु यीशु मसीह को जानने से पहले मैं ऐसा सोचता था कि मैं छोटी सी पिन चुरा लूं – यह बड़ी चोरी नहीं जैसे बैंक को लूटना, यदि मैं किसी से नफरत करूं और उसका बुरा हो जाये तो मुझे बेहद ख़ुशी मिलती थी मैंने कुछ नहीं किया उसे चोट पहुँचाने को | मैं अपराधियों Read More …
कदम 25: उद्धार के बाद भले काम
प्रिय मित्र ! चलो शांति से सोचते हैं उद्धार के बारे में और नए जीवन के बारे में जो परमेश्वर ने हमें सेंतमेत दिये हैं l उद्धार वह है जो परमेश्वर ने हमें, हमारे पापों से छुड़ाके एक नयी ज़िन्दगी दी है l यह हमारी अपनी धार्मिकता से नहीं मिली है l हम ऐसा कोई Read More …
कदम 26: चर्च में परमेश्वर की आराधना करें
आज रविवार है |और मसीहियों के साथ मैं भी जा रहा हूँ परमेश्वर की आराधना करने | मैं कितना प्रसन्न हूँ कि आपने भी मन बना लिया है मेरे साथ आने के लिए | मसीही हर रविवार को कलीसिया जाते हैं | प्रभु यीशु मसीह रविवार को कब्र से जीवित होकर बाहर आये | यह Read More …
कदम 27: चर्च – इस दुनिया में हमारा मसीही परिवार
क्या हम दूसरे चर्च में जाऐं? हम एक घर के पास रुकते हैं | यहाँ चर्च की ईमारत तो नहीं है | पर हम अंदर जाकर देखते हैं | कुछ परिवार के लोग अंदर एकत्रित हैं | और हमारा स्वागत स्नेह से किया गया | वहां कोई बाध्य नहीं था पर स्तुति के गीत गाये Read More …
कदम 28: यीशु मसीह फिर आएंगे
प्रभु यीशु मसीह जीवित हैं, और शिष्य अति प्रसन्न हुए जब वे प्रगट हुए | चालीस दिनों तक उन्हों ने शिष्यों को परमेश्वर के राज्य के बारे में बताया, और शीघ्र ही समय आ गया जब वे शिष्यों को छोड़कर जाने वाले थे | फिर जैसा सब लोग देख रहे थे यीशु स्वर्ग चले गए Read More …
कदम 29: क्या प्रभु यीशुही एकमात्र मार्ग है परमेश्वर के पास पहुँचने के लिए?
प्यारे दोस्त, क्या आप सोच रहे हैं कि यीशु मसीह ही एक मात्र मार्ग है परमेश्वर के पास पहुँच ने के लिए ? दुनिया में बहुत से धर्म है। क्या ये सब हमें परमेश्वर से नहीं जोड़ते? मैं चाहता हूँ कि आप मेरे मित्र रवि से मुलाकात करें जिन्हों ने सच्चाई को प्राप्त किया | वह Read More …
कदम 30: साक्षी – मैं पूरी दुनिया से कहना चाहता हूँ
परमेश्वर का प्यार प्रभु यीशु के रूप में आया है l मैं दुनिया को बताना चाहता हूँ कि यह खुशी का समाचार है l पहले पाठों में हम देखते हैं, कि परमेश्वर ने हमें जीवन दिया, जब हम अपने आप को उनके हवाले करते देते हैं और उनके पीछे चलने लगते हैं l प्रभु Read More …
कदम 31: प्रार्थना आप के लिए, मेरे दोस्त
हम इन 30 बुनियादी सबकों को लेकर चले हैं – पहला कदम प्रभु यीशु मसीह के साथ – जैसा मुझे लगा ,ये यात्रा आप को भी आकर्षित लगी होगी l जैसे हम दोनों ने यीशू का हाथ पकड़ कर उनका अनुसरण किया , आप को भी अच्छा लगा होगा l मैं विश्वास करता हूँ कि Read More …