कदम 31: प्रार्थना आप के लिए, मेरे दोस्त

हम इन 30 बुनियादी सबकों को लेकर चले हैं – पहला कदम प्रभु यीशु मसीह के साथ – जैसा मुझे लगा ,ये यात्रा आप को भी आकर्षित लगी होगी l जैसे हम दोनों ने यीशू का हाथ पकड़ कर उनका अनुसरण किया , आप को भी अच्छा लगा होगा l मैं विश्वास करता हूँ कि Read More …

कदम 30: साक्षी – मैं पूरी दुनिया से कहना चाहता हूँ

परमेश्वर का प्यार प्रभु यीशु के रूप में आया है l मैं दुनिया को बताना चाहता हूँ कि यह खुशी का समाचार है l      पहले पाठों में हम देखते हैं, कि परमेश्वर ने हमें जीवन दिया, जब हम अपने आप को उनके हवाले करते देते हैं और उनके पीछे चलने लगते हैं l प्रभु Read More …

कदम 29: क्या प्रभु यीशुही एकमात्र मार्ग है परमेश्वर के पास पहुँचने के लिए?

प्यारे दोस्त, क्या आप सोच रहे हैं कि यीशु मसीह ही एक मात्र मार्ग है परमेश्वर के पास पहुँच ने के लिए ? दुनिया में बहुत से धर्म है। क्या ये सब हमें परमेश्वर से नहीं जोड़ते? मैं चाहता हूँ कि आप मेरे मित्र रवि से मुलाकात करें जिन्हों ने सच्चाई को प्राप्त किया | वह Read More …

कदम 28: यीशु मसीह फिर आएंगे

प्रभु यीशु मसीह जीवित हैं, और शिष्य अति प्रसन्न हुए जब वे प्रगट हुए | चालीस दिनों तक उन्हों ने शिष्यों को परमेश्वर के राज्य के बारे में बताया, और शीघ्र ही समय आ गया जब वे शिष्यों को छोड़कर जाने वाले थे | फिर जैसा सब लोग देख  रहे थे यीशु स्वर्ग चले गए Read More …

कदम 27: चर्च – इस दुनिया में हमारा मसीही परिवार

क्या हम दूसरे चर्च में जाऐं? हम एक घर के पास रुकते हैं | यहाँ चर्च की ईमारत तो नहीं है | पर हम अंदर जाकर देखते हैं | कुछ परिवार के लोग अंदर एकत्रित हैं | और हमारा स्वागत स्नेह से किया गया | वहां कोई बाध्य नहीं था पर स्तुति के गीत गाये Read More …

कदम 26: चर्च में परमेश्वर की आराधना करें

आज रविवार है |और मसीहियों के साथ मैं भी जा रहा हूँ परमेश्वर की आराधना करने | मैं कितना प्रसन्न हूँ कि आपने भी मन बना लिया है मेरे साथ आने के लिए | मसीही हर रविवार को कलीसिया जाते हैं | प्रभु यीशु मसीह रविवार को कब्र से जीवित होकर बाहर आये | यह Read More …

कदम 25: उद्धार के बाद भले काम

प्रिय मित्र ! चलो शांति से सोचते हैं उद्धार के बारे में और नए जीवन के बारे में जो परमेश्वर ने हमें सेंतमेत दिये हैं l उद्धार वह है जो परमेश्वर ने हमें, हमारे पापों से छुड़ाके एक नयी ज़िन्दगी दी है l  यह हमारी अपनी धार्मिकता से नहीं मिली है l हम ऐसा कोई Read More …

कदम 24: परमेश्वर से प्यार, पाप से नफरत

प्रभु यीशु मसीह को जानने से पहले मैं ऐसा सोचता था कि मैं छोटी सी पिन चुरा लूं – यह बड़ी चोरी नहीं जैसे बैंक को लूटना, यदि मैं किसी से नफरत करूं और उसका बुरा हो जाये तो मुझे बेहद ख़ुशी मिलती थी मैंने कुछ नहीं किया उसे चोट पहुँचाने को | मैं अपराधियों Read More …

कदम 23: परमेश्वर से प्यार अपने पूरे व्यक्तित्व के साथ

एक दिन एक मनुष्य प्रभु यीशु के पास आया और उसने उनसे पूछा – परमेश्वर की सबसे महत्वपूर्ण आज्ञा कौन सी है ? प्रभु यीशु ने उत्तर दिया: तू अपने परमेश्वर को, अपने पूरे मन से, अपनी आत्मा से, और पूर्ण ताकत से प्यार कर | मैंने सोचा परमेश्वर को इस तरह कैसे प्यार करूं Read More …

कदम 22: प्रभु यीशु हमें शैतान से विजय दिलातें हैं

परमेश्वर की स्तुति हो | हमारा मुक्तिदाता हमें शैतान से छुड़ाने आया| हम लोग जिन्हें मुक्ति मिली है, शैतान के गुलाम नहीं है |अब हम प्रभु यीशु के हैं, और उसकी सुरक्षा में हैं | शैतान हारा हुआ दुश्मन है | बाइबिल शैतान को दुष्ट आत्मा कहती है और दुनिया का राजा भी कहती है Read More …