क्या आपको प्रार्थना में ईश्वर से बात करने का और उसके द्वारा आपकी प्रार्थनाओं का सुना जाना – क्या आपको इसका अनुभव है ? आप परमेश्वर की प्रतीक्षा कर सकते है कि वह आप से बात करें और आपकी प्रार्थना का जवाब दे |परमेश्वर बाइबिल के माध्यम से हमसे बातें करते है| यही कारण है कि “बाइबिल को परमेश्वर का वचन,” कहा जाता है |बाइबिल पवित्र पुस्तक है जिसे परमेश्वर ने हमारे लिए लिखा है | परमेश्वर ने कई लोगों से बातें की, और जो उनसे कहा गया वह उन्हों ने लिख लिया |
बाइबिल के दो वर्ग होते है |
- प्रथम खंड – पुराना नियम कहा जाता है|
- दूसरा खंड – नया नियम कहा जाता है|
पुराने नियम में हम पढ़ते है कि , परमेश्वर ने पृथ्वी पर सभी चीज़ों की रचना की है | यहां ये भी भविष्यवाणी है कि परमेश्वर कैसे यहूदी लोगों के बीच से दुनिया के उद्धार कर्ता प्रभु यीशु मसीह को जो स्वयं परमेश्वर है इस दुनिया में भेजेगा|नये नियम में पहली चार किताबें मत्ती, मरकुस, लुका और यूहन्ना –को सुसमाचार कहते है | यह यीशु मसीह का सुसमाचार है , जो हमें प्रभु यीशु के जीवन और शिक्षाओं के बारे में बताते है | बाइबिल की बाकी पुस्तकें उनके अनुयायियों को कैसे जीना चाहिए यह बताती है| हम जानने लगते है की यीशु के अनुयायियों को मसीही कह कर पुकारते हैं |
अपने हाथ में बाइबिल को पकड़िए , आँखे बंद करके प्रभु यीशु से प्रार्थना कीजिये और समझ के लिए मांगिये ताकि आप बाइबिल समझ सकें| नए नियम से पढ़ना शुरू कीजिये| परमेश्वर से प्रार्थना कीजिये और समय निर्धारित कीजिये बाइबिल पढ़ने के लिए| जैसे जैसे आप बाइबिल पढेंगे उनका प्रकाश आपके दिल में चमकेगा और आप जो पढ़ रहे है स्पष्ट रूप से आप को समझ में आ जायेगा | आप को किस तरह जीवन जीना है उसका मार्ग दर्शन बाइबिल में है | प्रभु यीशु आपसे वाचा बांधना चाहते है | ये वचायें बाइबिल में है | जैसे जैसे आप बाइबिल को अधिक पढेंगे , प्रभु यीशु के कई खजाने आप के लिए खुलते चले जाएंगे जो वो आप को देना चाहते हैं जैसे कि शांति, खुशी, आराम, आश्वासन, मार्गदर्शन और सुरक्षा |
प्रार्थना : प्रभु यीशु कृपया अपने वचन के माध्यम से मुझसे बातचीत कीजिये | मैं सुन रहा हूँ |
मुख्यवचन : “सम्पूर्ण पवित्र शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है ” 1 तीमुथियुस 3:16 ( पवित्र शास्त्र – बाइबिल का दूसरा नाम है )