कदम 20: स्वर्ग – परमेश्वर के घर पहुंचना

हर व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म का क्यों न हो स्वर्ग जाना चाहता है | वे जानते हैं कि स्वर्ग एक अति सुन्दर जगह है|

वे कई उपाय करते हैं वहाँ जाने के लिए जैसे भले काम करना, दान देना, परेशान लोगों  की मदद  करना | वे सोचते है कि अपने अच्छे कामों से स्वर्ग कमाएंगे | उनकी सोच यही है कि उनके अच्छे काम अगर उनके पापों से अधिक हैं, तो उनके पाप मिट जाएंगे | कई अन्य लोग सोचते हैं कि उपवास रख कर, या प्रार्थना करकर के, या अपने आपको चोट पहुंचा कर परमेश्वर को प्रसन्न करेंगे |

इनमें से बहुत सी चीजें अपनेआप में अच्छी हो सकती हैं, लेकिन हमारे पापों को हटाकर हमें स्वर्ग के लिए तैयार नहीं कर सकती हैं | परमेश्वर शुद्ध और पवित्र है | वो गन्दगी को पसंद नहीं करता है |बाइबिल में एक बड़े राजा कि ज़िक्र है जिसका नाम दाऊद था | उसने प्रार्थना की “मुझे धो दे और मैं बर्फ के समान सफ़ेद हो जाऊँगा ” |

प्रभु की स्तुति हो ,यीशु मसीह का खून मेरे दिल के दाग को मिटाता है | अब मैं साफ़ और शुद्ध हूँ, प्रभु यीशु के बलिदान की वजह से | परमेश्वर मुझे अंगीकार करेगा क्योंकि मेरे सारे पाप धुल गऐ | हमारे अच्छे कामों से हम स्वर्ग हासिल नहीं कर सकते | अनंत जीवन हमारे लिए परमेश्वर की तरफ से एक तोहफा है। मेरे पाप माफ़ हो गए, और मैं स्वर्ग जा रहा हूँ, इसलिए मैं खुशीसे गीत गाऊंगा |

बाइबिल कहती है : “हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है |”  फिलिपिओं 3: 20 मेरे दोस्त क्या आप भी खुश हो ? चाहे हम पृथ्वी पर न मिलें मैं उम्मीद करता हूँ की एक दिन अपने पिता के घर में अवश्य मिलेंगे |

प्रार्थना : धन्यवाद परमेश्वर पिता, आपके बहुमूल्य तोहफे के लिए |

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