कदम 17: परमेश्वर – पवित्र आत्मा

पवित्र आत्मा कौन है ? आप सोच सकते हैं | मरने से पहले प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि वे परमेश्वर के पास जा रहे हैं, जो उनके पिता हैं | इस बात को सुनकर शिष्य दुखी हो गये|उन्हों ने उनको सन्तावना देते हुए कहा – मेरा पिता तुम्हें एक सहायक देगा, वो आप के साथ सदैव रहेगा | यह सहायक – “पवित्र आत्मा” तुम्हें सब कुछ सिखाएगा |

मरकर, जीवित होने के बाद प्रभु यीशु ने चालीस दिन शिष्यों को सिखाते और निर्देश देते हुए बिताए | उन्होंने कहा पवित्र आत्मा तुम्हारे पास आएगा, मेरे बारे में दुनिया को बताने के लिए तुम्हें शक्ति देगा | इसके बाद वे देखते रहे और यीशु स्वर्ग की ओर ऊपर उठा लिया गया |

यहूदी त्यौहार के दिन जिसको “पेन्तिकोस्ट” बोलते हैं, बहुत से शिष्य इकट्ठे हुए थे प्रार्थना करने के लिए | जैसा प्रभु यीशु ने कहा था और उन सब ने उस दिन पवित्र  आत्मा को पाया | शिष्य छिपे हुए थे, क्योंकि वे उन लोगों से डरे हुए थे जिन्होंने प्रभु यीशु की हत्या की थी | जब पवित्र आत्मा उन पर आया, तो उन सबको बड़ा साहस मिला, कि वे दुनिया सामना कर सकें और प्रभु यीशु के बारे में और नजात जो वो देता है उसके बारे में, सब को बता सकें |

पवित्र आत्मा परमेश्वर की आत्मा है | जिस क्षण हम प्रभु यीशु को ग्रहण कर लेते   हैं, पवित्र आत्मा हमारे दिल में वास करता है |

आश्चर्य करने वाला सच यह है कि पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर हमारे पिता , प्रभु यीशु हमारे उद्धार कर्ता भी हमारे ह्रदय में आ जाते हैं, क्या हम इससे भी ज्यादा आशीषित हो सकते हैं ?

अगला पाठ में हम देखेंगे कि पवित्र आत्मा हमारी जिंदगी में कैसे काम करता है |

प्रार्थना : धन्यवाद पिता, पवित्र आत्मा के तोहफे के लिए जो हमारे साथ रहता है , और हमारा मार्गदर्शन करता है |

 

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