प्रभु यीशु तीस साल के हैं, वे अपना काम पूरा करने के लिए अपना घर छोड़ रहे हैं, उनके शिष्य बनकर क्या हम उनका अनुसरण करेंगे । अब जहाँ वे जाते हैं उनके पीछे चलकर, उनकी वाणी को सुनेंगे और देखेंगे कि वे क्या करते हैं |मैं उत्साहित हूँ मुझे यकीन है कि आप भी जरूर उत्साहित होंगे |हम देखते हैं कि वे ग्रामीण इलाकों में चल रहे हैं, लोगों को परमेश्वर के बारे में और उनके राज्य के बारे में बता रहे हैं | वे बताते हैं, एक आध्यात्मिक राज्य के बारे में, न कि संसारिक राज्य के | सभी लोगों के लिए उनके पास बेहद करुणा है, लोगों के लिए यीशु का दिल दया से भर जाता है, वे बीमारों को, कोढ़ियों को, बहरों को, अंधों को और लगड़ों को चंगाई देते हैं | हर समय लोग उनके पास दौड़कर आते हैं | एक दिन वे एक अंतिम संस्कार देखते हैं | एक विधवा औरत का एकलौता बेटा मर गया | वह दुःख से रो रही है | प्यार भरे दिल के साथ, वह मृत शरीर को छू लेते हैं और उसका बेटा जीवित हो जाता है | वह महिला अब ख़ुशी के आंसू बहाती है |
एक और दिन वे देखते हैं कि जो लोग उनका अनुसरण कर रहे हैं, वे भूखे हैं | वहां 5000 से अधिक लोग हैं | एक छोटे लड़के ने यीशु को अपना दोपहर का भोजन दिया | यीशु ने उसको आशीर्वादित किया और अचानक वहां मौजूद सभी लोगों के लिए भोजन पूरा भी पड़ गया और बच भी गया |अब वे गलील की झील में एक नाव पर हैं | एक बड़ा तूफान आता है और उनके शिष्य डर जातें हैं | वे आदेश देते हैं, और तुरंत आंधी और तूफ़ान थम जाते हैं |
वे अक्सर लोगों को जब चंगाई देते हैं, उनके पापों को माफ कर देते हैं| वे उनसे कहते हैं कि आध्यात्मिक उपचार शारीरिक चिकित्सा से भी अधिक महत्वपूर्ण है |जो भी उनके पास आता है, उसका जीवन परिवर्तित हो जाता है |एक चुंगी लेने वाला जो लोगों को धोखा देता था, एक स्त्री जो व्यभिचार में पकड़ी गयी थी, एक शास्त्री, और कई अन्य लोग यीशु के पास आकर पापों की माफ़ी और नया जीवन पाए |इन सभी बाहरी और भीतरी चमत्कारों द्वारा, प्रभु यीशु साबित करते हैं कि वे परमेश्वर हैं |हे मित्र, मैं विश्वास करता हूँ कि वे परमेश्वर का पुत्र, मनुष्य बनकर मेरे लिए आऐ, क्या आप इस बात पर विश्वास करते हो |
प्रार्थना : प्यारे प्रभु यीशु, आप अद्भुत कार्य करने वाले परमेश्वर हैं | मैं विनम्रता से आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपने मेरे पापों को माफ़ करके मुझे एक नया जीवन दिया |