कदम 3: प्रभु यीशु बिना – अँधेरे में

प्रभु यीशु के पास आने से और उन्हें अपने जीवन का प्रभु बनाने से पहले, मैं अपने बलबूते पर अपना जीवन जीने की कोशिश कर रहा था। मुझे नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है। मैं ने कई योजनाएं बनाई, लेकिन मुझे यकीन नहीं था कि वे सफल होंगीं। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं एक अंधेरे जंगल में हूँ, ठोकरें खातें हुए चल रहा हूँ और अपना रास्ता ढूंढने कि कोशिश कर रहा हूँ । कोई मार्ग नहीं मिल रहा था । मुझे पता नहीं था कि मैं किस ओर जा रहा हूँ | मंने अपने जीवन के लिए महान योजनाऐं बनाई और रास्ते तैयार किये| फिर मुझे पता चला कि यह गलत दिशा है |कभी  कभी रास्ता सरल था और मैं खुश था कि मेरा जीवन सही चल रहा है | फिर अचानक बड़ी समस्या सामने आजाती और मैं गड्ढे में गिर जाता और नहीं जानता था कि बाहर कैसे निकलू | पथ खराब हो जाता था, दिन ब दिन जीने कि कोशिश करने से मुझे कमजोरी और थकान महसूस होने लगती थी | कि जिन्दगी मुझे कहा लेकर जारही है और मेरा सफर कितनी देर तक चलता रहेगा। मेरे पास सवाल बहुत थे लेकिन उनका कोई उत्तर नहीं था ।

अक्सर मुझे ऐसा लगता था कि मैं जीवन के अंधेरे जंगल मे पूरी तरह से खोगया हूँ । मैं अक्सर निराश होकर रोने लगता , “क्या मेरी मदद के लिए कोई है ?”

क्या आपको अपने जीवन के बारे में ऐसा लग रहा है, मेरे मित्र ? चिंता मत करो और भयभीत न होना |आपकी मदद करने के लिए कोई आप का इंतज़ार कर रहा है उनका नाम प्रभु यीशु है! उसके पास आओ |

बाइबिल कहती है:  यीशु मसीह सच्ची ज्योति है, जो हर एक को प्रकाशित करती है | यूहन्ना 1:9

प्रार्थना : प्रभु यीशु , मुझे मेरे अँधेरे जीवन में से निकाल कर आप अपनी रौशनी में लाइए , यही मेरी आपसे प्रार्थना है|           

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